अगर मंदिर मे भगवान होते तो वह किसी के घर की चार दिवारी पर ना लटकते...! अगर मंदिर मे भगवान होते तो वह किसी के घर की चार दिवारी पर ना लटकते...!
जब तख्त की ज़ुबाँ बोलनेे लगे अखबार, तो कैसे लिख दूँ कि कलम की ताकत अभी ज़िंदा है...। जब तख्त की ज़ुबाँ बोलनेे लगे अखबार, तो कैसे लिख दूँ कि कलम की ताकत अभी ज़िंदा ह...
चारों तरफ अँधेरा नाच रहा है ऊपर नीचे सूरज को थोड़ा फैला आफताब देना चाहिए चारों तरफ अँधेरा नाच रहा है ऊपर नीचे सूरज को थोड़ा फैला आफताब देना चाहिए
इश्क में सब कुछ सहना पड़ता है... इश्क में सब कुछ सहना पड़ता है...
मैं को हम भी कर नही सकता मैं...! मैं को हम भी कर नही सकता मैं...!
सत्य हूं मैं, बिक चुका हूं झूठ के बाज़ार में । मैं अकेला चल रहा हूं... सत्य हूं मैं, बिक चुका हूं झूठ के बाज़ार में । मैं अकेला चल रहा हूं...